केंद्र सरकार के जिंदा गौवंश निर्यात करने के अध्यादेश के विरोध में दिगम्बर जैन समाज ने सड़क जाम कर किया प्रदर्शन

शहर के स्थानीय घण्टाघर चौराहे पर अध्यादेश के विरोध में जाम कर सरकार के खिलाफ जमकर की नारेबाजी

मोदी और योगी सरकार के नाम ज्ञापन देकर अध्यादेश के निरस्तीकरण की उठाई मांग

हिमांशु सुडेले के साथ मुकेश बुन्देली की रिपोर्ट
ललितपुर। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा हाल ही में एक बिल प्रस्तुत किया गया है जिसमें जिंदा पशुओं के निर्यात का जिक्र किया गया है। इस बिल में मवेशियों और जानवरों को कमोडिटी के रूप में परिभाषित किया गया है और उनको लाइव स्टॉक एक्सपोर्ट करने को कानूनी जामा पहनाना चाहता है। जिसको लेकर समूचे हिंदू समाज के साथ-साथ अहिंसा प्रेमी जैन समाज में सरकार के प्रति काफी आक्रोश पनपता हुआ दिखाई दे रहा है इस बिल में जिन जानवरों की निर्यात करने की बात की गई है उसमें हमारी माता के रूप में मानी जाने वाली गौमाता भी शामिल है जिसके निर्यात का विरोध समूचा हिंदू और अहिंसा प्रेमी जैन समाज कर रहा है इसी बिल को लेकर आज जैन समाज में आक्रोश था और उन्होंने शहर के स्थानीय घंटा घर पर सड़क जाम कर मोदी और योगी सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन कर नारेबाजी की इस दौरान समूचे जैन समाज के साथ साथ हिन्दूओं ने मोदी और योगी सरकार को चेताया कि जो बिल पास कर भी लागू किया जाने वाला है उसको तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाए क्योंकि हमारा देश हिंदुओं का देश है जिसमें हिंसा नाम मात्र के लिए नहीं है और आपका बिल अहिंसा विरोधी है इसलिए इसे तत्काल प्रभाव से इस रखिए जाना चाहिए मांस निर्यात की जगह अब आप जिंदा पशुओं का निर्यात करना चाहते हैं जो किसी भी तरह से उचित और बैद्य नहीं है। प्रदर्शनकारी समाज में यह भी चेताया कि यदि सरकार ने उनकी बात नहीं मानी और बिल लागू कर दिया तो इसको लेकर वृहद धरना प्रदर्शन आंदोलन करेंगे जिसकी समस्त जिम्मेदारी केंद्र और प्रदेश सरकार की होगी। प्रदर्शन के इस मौके पर सुरक्षा की दृष्टि से बड़ी मात्रा में पुलिस बल भी तैनात रहा।
जनपद की समस्त दिगंबर जैन समाज द्वारा हिंसामई बिल के विरोध में सक्षम अधिकारी को दिए गए ज्ञापन में अवगत कराया गया है कि संयुक्त सचिव मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, कृषि भवन, नई दिल्ली कार्यालय द्वारा दिनांक 07 जून 23 को ज्ञापन द्वारा सचित किया गये- पशुधन आयात और निर्यात विधेयक, 2023 (ड्राफ्ट) के सन्दर्भ में समूची अहिंसामई दिगम्बर जैन समाज आपके इस बिल का विरोध करती है।
हम, पशु प्रेमी होने के नाते, इस विषय में हितधारकों में से एक हैं और तदनुसार, हमें इस पर कई तरह से  आपत्तिया है। प्रस्तावित बिल आश्चर्यजनक रूप से मवेशियों और जानवरों को कमोडिटी के रूप में परिभाषित करता है और उनको लाइव स्टॉक एक्सपोर्ट करने को कानूनी जामा पहनाना चाहता है। जिंदा पशु-पक्षियों एवं मवेशियों को, हेरा-फेरी कर, उनके एक्सपोर्ट को इस तरह से पुश करना, संविधान के प्रावधानों एवं भावना के खिलाफ है। वर्तमान में दुनिया भर में भी जिंदा पशुओं के एक्सपोर्ट की प्रथा की आलोचना कर, जिंदा पशुओं के एक्सपोर्ट को बंद करने की मांग की जा रही है। इस विधेयक के पारित होने से राष्ट्रीय पशु संपत्ति के हितों पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जबकि भारत से बड़े पैमाने पर मांस निर्यात के चलते, पशु-पक्षी वर्ग तो पहले से ही सरकार और इसकी मशीनरी की घोर उपेक्षा एवं उदासीनता का शिकार है। सरकारी स्तर पर कहीं पर तो उनके शोषण को रोकने की सीमा रेखा हो। आपकी वेबसाइट में दी गई जानकारी में बताया गया है कि आपके मंत्रालय का क्षेत्राधिकार
केवल पशुओं के आयात से संबंधित मामलों तक ही सीमित है और निर्यात मामला डीजीएफटी. वाणिज्य मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसलिए उपरोक्त प्रस्तावित विधेयक में लाया गया निर्यात का मसला, आपके मंत्रालय के कार्य क्षेत्र में नहीं आने के कारण, संपूर्ण विधेयक
की कानूनी वैधता पर भी प्रश्न चिन्ह खड़े करता है। हितधारकों की जागरूकता के लिए इस प्रस्तावित विधेयक को प्रिंट मीडिया के माध्यम से उचित प्रचार ढिया जाना चाहिए था. जो कि आपने नहीं दिया। इसके साथ ही हितधारकों द्वारा अपने सुझाव और टिप्पणियां प्रस्तुत करने के लिए भी सामान्यतः 60 दिनों का समय दिया जाता है, पर आपने इसके लिये केवल 10 दिनों का समय दिया जो कि नाकाफी है। इस तरह के सामान्य मानदंडों को दरकिनार करने से ऐसा प्रतीत होता है कि शायद बाहरी निहित स्वार्थ के प्रभाव में, इस विधेयक को जल्दबाजी में पास कराना चाहा जा रहा है, जो कि
दुर्भाग्यपूर्ण है। उपरोक्त आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए हमारा आपसे विनम्र अनुरोध है कि प्रस्तावित
विधेयक को तुरंत रद्द करें और नया विधेयक लेकर आयें जिसका दायरा केवल पशु-पक्षियों के आयात (Import) के मसले तक ही सीमित हो, जो कि आपके मंत्रालय के क्षेत्र में आता है। इस ज्ञापन के माध्यम से समूची दिगंबर जैन समाज में मोदी और योगी सरकार से मांग की है कि इस बिल को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए ताकि आगे होने वाली हिंसा को रोका जा सके। इस हिंसा के दायरे में हमारी वह गौमाता भी आती है जिसे हम अपनी मां मानते हैं और जिसकी हिंदू समाज में पूजन अर्चन होती है। इसके साथ ही समुचित जैन समाज ने मोदी और योगी सरकार को चेताया की यह भी हिंदुओं की मांगे नहीं मानी गई तो इस देश में ग्राहक धरना प्रदर्शन आंदोलन होंगे जिसके समक्ष जिम्मेदार सरकारें होगी। इस प्रदर्शन के दौरान दिगंबर जैन पंचायत के अधीन सभी शाखाओं के पदाधिकारियों के साथ-साथ सभी संस्थाओं के लोग एवं दिगंबर जैन समाज के जैन श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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