जनपद पधारे परमपूज्य शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वारनंद सरस्वती जी महाराज ने “समान नागरिक आचार सहिंता और हिन्दू राष्ट्र घोषित होने पर पर मोदी सरकार को घेरा

महाराज का भव्य स्वागत करते श्रद्धालु

कहा कि- कोई भी योजना को शक्ति से लागू किया जाए तभी उसके परिणाम सामने आते हैं, यह सिर्फ एक वर्ग पर नहीं थोपी जा सकती

हिंदू राष्ट्र घोषित होने पर कहा कि सरकार की मंशा दिखाई नहीं देती क्योंकि अभी तक कोई प्रारूप सामने नहीं आया है, नामकरण मात्र से कुछ नहीं होता

हिमांशु सुडेले के साथ मुकेश बुन्देली की रिपोर्ट
ललितपुर। चातुर्यमास के दौरान अपने गुरु से भेंट करने जोशी मठ से गोटेगांव जाते समय परमपूज्य शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वारनंद सरस्वती जी महाराज गत 1 जुलाई को जनपद ललितपुर पधारे जहां पर उन्होंने तुवन मन्दिर के दर्शन किये, साथ ही यहीं पर रात्रि विश्राम कर 2 जुलाई को आगे की यात्रा शुरू की। इस दौरान उन्होंने एक पत्रकार वार्ता को संबोधित किया जिसमें समान नागरिक आचार संहिता लागू होने पर मोदी सरकार को घेरा।
जनपद पधारे परमपूज्य शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वारनंद सरस्वती जी ने केंद्र सरकार द्वारा लागू की जा रही “समान नागरिक आचार सहिंता” पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि अगर वह “समान नागरिक आचार संहिता” लागू कर रही है तो सभी धर्म और सभी वर्गों के लोगों पर समानता से लागू करें। यदि सरकार इसे लागू करने में पक्षपात करती है तो फिर ऐसी “समान नागरिक आचार संहिता” का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती समय में हिंदू धर्म शास्त्र के विरुद्ध अन्य धर्मों ने अपने धर्म शास्त्र में अपनी नियमावली लागू कर दी है जो तब से लेकर आज भी लागू है। उन्होंने कहा कि समान नागरिक आचार संहिता नियमावली बनाते समय सिर्फ हिंदू समाज को टारगेट किया गया है। आज हिंदू अपने धर्म शास्त्र के अनुसार ही नहीं रह पा रहा है जबकि अन्य धर्मों के लोग अपने शास्त्र के अनुसार रह रहे हैं। आज हालात यह है कि आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी हिंदुओं के सापेक्ष खड़ा दूसरा समुदाय अपने पर्सनल ला के अनुसार अपना जीवन व्यतीत कर रहा है इन पर कोई कानून लागू नहीं है जबकि हिंदू हिंदू धर्म के अनुसार अपना जीवन व्यतीत नहीं कर पा रहा उस पर जनसंख्या नियंत्रण का भी कानून है। कहने का तातपर्य यह है कि यदि सरकार समान नागरिक आचार सहिंता लागू करना चाहता है तो वह सभी धर्मों के लिए सख्ती से लागू करें, सिर्फ हिंदुओं को निशाना न बनाया जाय, हम सरकार के साथ है। और यदि ऐसा नहीं होता है तो फिर ऐसे कानून का कोई मतलब नहीं है। यदि सरकार यह कानून सभी पर लागू करने में असमर्थ है तो सभी को यह अधिकार दे दिया जाय कि वह अपने धर्म शास्त्र के अनुसार जीवन जियें। यह कानून लागू होने से सिर्फ हिंदुओं को ही क्यों यह क्षति उठानी पड़ रही है। इसलिए ऐसी समान नागरिक आचार सहिंता लागू करने का कोई अर्थ नहीं है।
हिन्दू राष्ट्र बनने पर कहा : उन्होंने हिन्दू राष्ट्र घोषित होने पर कहा कि अभी तक कोई प्रारूप निकल कर सामने नहीं आया है यह केवल एक जुमला है जिसे लोग रट रहे हैं । इसके संबंध में सरकार ने किसी भी तरह का कोई प्रारूप सामने नहीं रखा है। जब तक हिंदू राष्ट्र नामकरण मात्र से कुछ नहीं होगा, इसके संबंध में कोई प्रारूप सामने नहीं आता इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। हम स्वयं भुक्तभोगी हैं 2008 में हमने गंगा नदी अभियान शुरू किया था और आज 2023 में भी इसी सफलता नहीं मिल पाई है। हमने आंदोलन शुरू किया था कि गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी घोषित किया जाए ताकि इस नदी को शुद्ध और पवित्र बनाया जा सके क्योंकि हमारा राष्ट्रध्वज है यदि इस पर कोई गटर का गंदा पानी डाल दी तो उसके खिलाफ तुरंत ही राष्ट्रध्वज के अपमान का मामला दर्ज होता है। इसी प्रकार हम ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करवाया था ताकि गंगा में मिलने वाले गंदे नालों और कटर को बंद करवाया जा सके लेकिन सरकार ने इसे राष्ट्रीय नदी तो घोषित कर दिया लेकिन इसमें मिलने वाले गंदे गटरों को बंद नहीं करवा पाई। इन 13 सालों में सरकार राष्ट्रीय नदी गंगा में गटर का एक भी बूंद पानी गिरने से नहीं रोक पाई तो कहने का तात्पर्य यह है कि नामकरण मात्र से कुछ नहीं होता जब तक सरकार इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाएगी तब तक यह हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं हो सकता।

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