वन भूमि पर अवैध दुकाने एवं मंदिर निर्माण का प्रयास किया जा रहा था।रिपोर्ट। हिमांशु सुडेले के साथ राजेश कुमार 

वन भूमि पर अवैध दुकाने एवं मंदिर निर्माण का प्रयास किया जा रहा था

अफवाह के कारण प्रतिदिन हजारों की भीड़ एकत्रित हो रही थी

रिपोर्ट। हिमांशु सुडेले के साथ राजेश कुमार

ललितपुर। तालबेहट रेंज के अन्तर्गत विरधा बन ब्लाक में कथित लोगो द्वारा अवैध रूप से धार्मिक भावनाओं के तहत जल स्त्रोत से बीमारी ठीक होने की अफवाह फैलाकर अत्याधिक भीड़ एकत्रित कर तथा चंदा वसूली कर रहे है एवं वन भूमि पर अवैध दुकाने एवं मंदिर निर्माण का प्रयास किया जा रहा था। उपरोक्त भीड़ वन विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों के रोकने से नहीं रूक रही थी, मौके पर वन भूमि पर अतिक्रमण की सम्भावना तथा अधिक भीड़ होने के कारण कानून व्यवस्था भ्रग होने की पूरी आंशका थी, जिसके क्रम में उक्त अवैध कार्य रोकने हेतु जिलाधिकारी ललितपुर एवं पुलिस अधीक्षक ललितपुर को आवश्यक कार्यवाही एवं सहयोग करने हेतु पत्र लिखा गया था।

पुलिस प्रशासन के सहयोग से उक्त कथित गेंवरा गुन्देरा पूरा विरधा सिद्ध आश्रम का मौके पर निरीक्षण किया, निरीक्षण में पाया गया कि गेवरा गुंदेरा के ग्राम समाज की भूमि पर एक पुराना चैकडैन बना है, जिसमें पानी भरा हुआ है तथा कथित कुछ व्यक्तियों द्वारा चैकडैम की दीवार में एक छेद कर पानी निकालने का रास्ता बना दिया। उक्त चेकडैम से निकला हुआ पानी पास ही विरधा वन ब्लाक में पत्थरों से निकल कर एक गडढे में भरने लगा, उसी विरधा वन ब्लाक मे गडढे में गिरने वाले पानी से नहा कर रोग ठीक होने की अफवाह के कारण प्रतिदिन हजारों की भीड़ एकत्रित हो रही थी तथा आस-पास काफी मात्रा में दुकाने लगी हुई थी जिसे 05 अक्टूबर को सम्पूर्ण वन प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी, क्षेत्रीय वन अधिकारी एवं समस्त वन कर्मचारियों द्वारा पक्के चैकडैम के छेद को सीमेन्ट, पत्थर लगाकर कर बन्द करा दिया गया, जिससे विरधा वन ब्लाक में पहुंचने वाले पानी रूक गया था विरधा वन ब्लाक में भरे हुये गडढे के पानी को पास में स्थित नाले से जोड़कर गडढे का पानी निकाल दिया गया। तालाब का पानी इतना गन्दा / बदबूदार था कि उसके पास खड़ा होना मुश्किल हो रहा था. लेकिन जनता अन्ध विश्वास के कारण उसमें नहा रहे थी, साथ ही उसी क्षेत्र में एक साप के बच्चा की भी शिव जी के अवतार की अफवाह जनता में फैल गयी थी, उक्त सांप को पकड़ कर दूसरे जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया गया। उसके बाद भी तथा कथित सिद्ध आश्रम जबकि (आश्रम जैसी कोई भी चिन्ह नहीं है) पर अन्ध विश्वास एवं अफवाह के कारण जनता के लोग नहीं पहुचे इसलिये पुलिस प्रशासन एवं वन विभाग का पैरा लगा दिया गया है। उक्त पूरे प्रकरण के पीछे आस-पास के गांव के तथा कथित लोगो की आस्था से नाम पर चढावा से वसूली एवं वन भूमि पर अतिक्रमण का प्रयास था। जिसे विफल कर दिया गया है और उस पर लगातार निगरानी की जाती रहेगी।

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